SHAHID: मैं आगाज़ के बाकी बच्चो के साथ जून के महीने में DPS, श्रीनगर में एक Theatre Workshop co-facilitate करने गया था | मैंने वहा पर बहुत सारी बातें सीखी पर सबसे अच्छे से सिखा और समझा के लोगो की सोच उनकी शक्ति होती है मैंने यह भी जाना के मै अपनी आज़ादी को अच्छे तरह से इस्तेमाल नहीं करता हूँ | अपने उम्र के और छोटे बच्चो के साथ काम करके और Facilitation करके मैंने यह नया सिखा की हर तरह की सोच को साथ लेकर चलना आसान नहीं होता है | पाँच-छ दिन साथ में Theatre करने के बाद वहाँ के बच्चों ने मुझे कुछ ख़ास बातें बताई जो मेरे दिल को छू गयी |
ZAINAB: हम जून महीने के अंत में कोलकाता में हमारे नाटक ‘रावण आया’ के shows करने गए थे | मेरा role वानरों के तीसरे leader का था | कोलकाता में हमने चार shows किये थे | मुझे बहुत अच्छा लगा, उसका एक reason है | मेरी acting काफी improve हुई उधर, नवीन sir ने काफी मदद करी | मैं अपनी acting के बारे में छोटी छोटी बातों का ध्यान रखने लग गयी थी | ऐसा पहली बार हुआ के बार ईद हम सब ने घर से बाहर मनाई | वैसे तो हम सब आगाज़ के दोस्त ज्यादातर साथ में ही ईद मनाते थे निजामुद्दीन में पर कोलकाता में भी अच्छी बीती, बिलकुल अलग experience था | ‘रावण आया’ अब हमारे group का हिस्सा है और किसी भी चीज़ की जितनी भी बार करते है हर बार नयी-नयी चीज़ें सामने आती है और हमने उसके चलते improvement आता है | मुझे life में हमेशा theatre करना है और ‘रावण आया’ अब उसका part hai तो वो भी आगे करते रहना चाहती हूँ |
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