Ismail and Shahid from our core group at Nizamuddin got an opportunity to participate in a week long, puppet making workshop with Anurupa Roy at Katkatha. They seem to have learnt a lot and we have thoroughly enjoyed the process of listening to their new stories and insights. Ismail has shared a small reflection that offers us a glimpse into this new world of puppet theatre.
मैं कटकथा में एक workshop के लिए गया था जहाँ पर मैने Bunraku Puppets के बारे में सीखा| इन puppets को चलाने के लिए 3 लोगों की ज़रूरत पड़ती है| मुझे यह भी पता चला के इन को अख़बार से कैसे बनाया जाता है| क्या आपको पता है के एक puppet के लिए 7 अख़बार की ज़रूरत पड़ती है?
उसके अलावा मैने masks बनाने भी सीखे|
मुझे यह जानकारी मिली कि बड़े masks में ज़्यादा layers होती हैं और छोटे masks में कम layers होती हैं|
इस workshop के दौरान puppeteer के शरीर के बारे में मुझे बहुत कुछ पता चला| उनकी body काफ़ी मज़बूत और strong होती है और उन्हें अपना हर movement, puppet के शरीर से जोड़ना पड़ता है| उनको अपना काम अच्छी तरह से करने के लिए बहुत सारा warm-up और exercise करना होता है|
इस अनुभव से मुझे केवल puppets बनाना ही नहीं, उनके साथ perform करने के बारे में भी जानने को मिला| हमें बताया गया था कि पहले अपनी body को study करना होता है और फिर उस movement को puppet में डालना होता है| हमें अपनी body की strength को भी बनाए रखना होता है ताकि हम बहुत देर तक खड़े रह सकें|
Puppet Theatre workshop में सीखे गए exercises, warm-ups और movements का मैं अपने theatre के काम में उपयोग कर सकता हूँ|
आख़िर में मैं यह कहना चाहता हूँ कि मुझे अनुरूपा के साथ काम करने में बहुत मज़ा आया| उनके बात करने का तरीके, काम समझने का तरीका और स्पष्ट नज़रिया मुझे अच्छा लगा| Ma’am एक ज्ञान का भंडार हैं आर उनसे बहुत सारी नई चीज़ें सीखी जा सकती हैं| मैं उमीद करता हूँ कि मुझे उनके साथ काम करने के और मौके मिलें|
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